वानी

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मीरा को आया होश

चैप्टर 20 मीरा को आया होश

अब तक आपने पढ़ा डॉक्टर बताता है की मीरा को अगर जल्दी होश नही आया तो वो कोमा में जा सकती है तनुजा के वहां देख सिद्धार्थ खामोश हो जाता है तीनो एक दूसरे के सामने थे


अब आगे

सिंह मेंशन

महेंद्र बेड पर लेटा था और उसके शरीर पर पट्टी बंधी थी और उसके पास एक करिब 60-65 साल का आदमी बैठा था ,जो बहुत नाराज लग रहा था (ये है महेंद्र के पिताजी मिस्टर यशवंत सिंह "सिंह एंटरप्राइज़ कमपनी  के ओनर, और अपने समय के फेमस गैंगस्टर लेकिन महेंद्र के होने के बाद इनहोंने सब छोड़ दिया लेकिन ये कभी बदले नहीं आज भी गैर कानूनी काम करते हैं ड्रग्स सपलाई करना, लड़कीयो को दुसरे देशों में बेचना और बहुत से गलत काम करते हैं )

वो गुस्से में महेंद्र को घूरते हुए कहते हैं "एक तो तुम गलती करते हो उपर से होशियार भी नहीं रहते, एक लड़की से तुम हार गए 10 साल पहले भी तुम हार गये थे और आज भी..... और क्या कहा तुमने वो लडका जिंदा है"

महेंद्र खीझते हुए कहता है "हां डैड वो जिंदा है और अगर वो शौर्य बिच मे नही आता, तो मैं आज उस माँ बेटे को मार देता"

यशवंत चौकते  हुए "क्या कहा तुमने माँ, लेकिन तुमने तो कहा था वो मर चुकी है"

महेंद्र समझाते हुए कहता है "डैड उसकी माँ मर चुकी है, वो उस मिरा को माँ कहता है" यशवंत पूछता है "और बाप कौन है" महेंद्र कहता है "ये नहीं मालूम"

यशवंत गुस्से में कहता है "तुझसे ज्यादा नलायक आदमी मैने आज तक नहीं देखा, जानकारी आधी रखता है, एक लड़की से हार गया तु अब मुझे हि कुछ करना होगा" फिर किसी को फोन करता है और कमरे से बाहर आ जाता है

महेंद्र अपनी बेज्जती से गुस्सा हो जाता और कहता है "मिस मिरा तिवारी मै भी देखता हूँ तुम उस चूज़े को कैसे बचाती हो" और वो पागलो की तरह हसने लगता है

"होस्पिटल में"

तनुजा शौर्य के सामने खडी थी, और शौर्य के पिछे सिद्धांर्थ खड़ा उसे ही देख रहा था उसकि आंखे नम थी लेकिन किसी को चशमे  की वजह से दिख नही रहा था।

तनुजा शौर्य के पास आती है और कहती है "कैसे हो"  शौर्य कहता है  "मैं ठिक हूँ ,तुम बताओ कैसी हो"

तनुजा कहती है "मैं भी ठीक हूँ " फिर सिद्धार्थ को देख कर कहती है "कैसे हो"   सिद्धार्थ बस अपनी गरदन हिला देता है , शौर्य का फोन बजता है तो वो उठाने चला जाता है, दोनों एक दुसरे को देख रहे थे उनके बिच खामोशी थी और दिल में तुफान"

तनुजा कहती है "अब भी नाराज हो"  सिद्धार्थ एक व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ कहता है "नाराज अपनो से होते हैं गैरों से कैसी नाराजगी" और वो मुंह फेर लेता है

शौर्य वापस आ जाता है वो पुछता है "तुम यहाँ कैसे"    तनुजा नजर चुराते हुए कहती है "राहुल ने बताया था इसलिए आ गयी"  सब शांत थे तभी वहा राहुल और रिहान सबके लिए चाए लाते है तनुजा और शौर्य चाए ले लेते हैं लेकिन जैसे ही सिद्धार्थ को देने जाते हैं तनुजा कहती है "वो चाए नहीं पिते है"  तनुजा की बात सुन सब चौक जाते हैं राहुल पुछता है "आपको कैसे पता"

उसका सवाल सुन तनुजा खामोश हो जाती है, सिद्धार्थ राहुल के हाथ से कप लेते हुए कहता है "मैने आदत बदल दी है" और चाए पिने लगता है

"थोड़ी देर बाद डोक्टर आते हैं और कहते हैं "मिस मिरा को होश आ गया है, आप सब मिल सकते हैं" राहुल और रिहान झट से कमरे की तरफ भागते है और उनके पिछे सब चले जाते हैं"

"कमरे में"

राहुल जैसे ही अंदर आता है मिरा को देख उसकी आंखे नम हो जाती है रिहान की भी आंखे नम थी मिरा दोनों को इशारे से अपने पास बुलाती है "कैसा है मेरा बच्चा"

तभी पिछे से आवाज आती है "तुम्हारे होते हुए इसे कभी कुछ हो सकता है" अपने सामने सिद्धार्थ को देख मिरा मुस्कुरा देती है लेकिन उसके पिछे शौर्य और तनुजा को देख वो चौक जाती है ,तीनों को एक साथ देख मिरा टेन्शन में आ जाती है ,फिर खुद को शांत करते हुए राहुल और रिहान से बात करती है और उन दोनों को कुछ खाकर और आराम करके आने के लिए भेज देती है।

अब उस कमरे में 4  लोग बचे थे........शौर्य मिरा के पास आकर बैठ जाता है और दुसरे साइड सिद्धार्थ और सामने तनुजा तिनो मिरा को घुर रहे थे ,मिरा थोड़ी देर चुप रहती है फिर तीनो को देखकर कहती है "एसे मत घुरो  मैं कोई खाने की चिज़  नहीं हूँ"

तनुजा कहती है सीतु ठीक है" तो मिरा सर हा में हिला देती है

मिरा सिद्धार्थ से "तुम कब आए" सिद्धार्थ शांति से कहता है "कल आया जब तुम्हारा ओपरेशन हो  रहा था"  मिरा तनुजा से कहती है "तु कैसे आ सकती है, तु तो र्टेनींग में थी ना"

तनुजा कुछ कहती उससे पहले ही सिद्धार्थ कहता है "एमरजैंसी लीव ली है लेकिन इतनी आसानी से नहीं मिलती है लिव आइ पी एस की र्टेनींग है मज़ाक नहीं" सिद्धार्थ कहता है "मेरे पहचान के लोग है वहाँ" और चुप हो जाता है"

अब तनुजा कहती है "तुम्हे कैसे पता, मै कहा थी" सिद्धार्थ उसकी तरफ देखकर कहता है  "मुझे तुम्हारी हर साँस की खबर रहती है"    तनुजा गुस्से में कहती है "तुम मेरी जासूसी कर रहे हो"  सिद्धार्थ कहता है "आज से नहीं हमेशा से, लेकिन तुम इतनी बेवकूफ हो कि तुम्हे पता ही नहीं चला" तनुजा कहती है "तुम्हे शरम नहीं आता, एक लड़की का पिछा करते हुए"

सिद्धार्थ फ्लो फ्लो में बोल देता है "मै कोई आवारा नहीं हू जो किसी भी लड़की का पिछा करू" जब उसे एहसास हुआ की उसने क्या बोल दिया तो वो चुप चाप गरदन झुका के खड़ा हो जाता है।

उनसब की बात सुन शौर्य एकदम से चिल्लाता है "बस करो अब, बस बहुत हुआ"

शौर्य सिद्धार्थ के पास जाता है और उसका कौलर पकड़ लेता है, और गुस्से में दांत पिसते हुए कहता है "तो तुने रोका था मुझे इनवेस्टीगेट करने से ,लेकिन क्यों, एसा क्या है जो तु मुझे रोक रहा था आखिर क्यों, एसा क्या हुआ था उस दिन"

तनुजा 10 साल पहले की बात सुन घबरा जाती है, मिरा उसे ही देख रही थी तनुजा ने बेडशीट कस कर पकड़ रखी थी, उसकी हालत अब खराब होने लगी थी सिद्धार्थ ने जब तनुजा को देखा, तो शौर्य को खुद से दूर कर तनुजा के पास जाता है और उसे गले लगा लेता है तनुजा रोने लगी थी और उसने सिद्धार्थ को कसकर पकड़ रखा था

क्या हुआ था 10 साल पहले ? कौन है राहुल की मां? राहुल मीरा से कैसे मिला ? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी " एक मां ऐसी भी" मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए बाय बाय

वानी

कहानीकार प्रतियोगिता

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2 Comments

madhura

01-Sep-2023 10:41 AM

Very nice story mam

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Anjali korde

29-Aug-2023 11:01 AM

Very nice

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